Monday, April 26, 2010

----- अक्स -----

जवां कलियों खिले फूलों और इन बहारों में तुम हो
चाँद सूरज और आसमां के सितारों में तुम हो

यूं तो देखें हैं हमनें कई हसीं चेहरे
फिर भी लेकिन एक उन हजारों में तुम हो

बरसे है जब आसमां से पानी तो कुछ लगता है यूँ
सावन की पहली बारिश की रिमझिम फुँहारों में तुम हो

तुम्हारी आँखों की झील में डूबा जाता हूँ मैं
उम्मीद ये कि इसके हर किनारों में तुम हो

तुमसे है प्यार मुझे, लो कह दिया ये राज़ तुमसे
अब तो मेरे दिल के कुछ राज़दारों में तुम हो

आग से बस इसलिये खेला करता हूँ मैं
गुमां होता है इन शोलों में, शरारों में तुम हो

शर्मों झिझक, मुस्कुराहट में, और लबों की थरथराहट में
नई दुल्हन के अनजानें हर इशारों में तुम हो

230620011930

No comments:

Post a Comment